Translate

सोमवार, 16 जुलाई 2012

पिप्पी (Pippi Longstocking by Astrid Lindgren)


पिप्पी के बारे में टीचर ने शहर के लोगों से भी सुन रखा था.वह एक दयालु और खुशमिजाज टीचर थी, इसलिए उसने तय कर लिया कि वह पिप्पी को स्कूल में संतुष्ट रखेगी.
किसी के कुछ कहे बिना पिप्पी एक खाली कुरसी पर जा कर बैठ गई. लेकिन टीचर ने उसकी लापरवाही पर ध्यान नहीं दिया. प्यार से बोली, "पिप्पी बेटे, स्कूल में तुम्हारा स्वागत है. आशा है तुम यहाँ खुश रहोगी और बहुत कुछ सीखोगी."
"बिलकुल ! और मेरी आशा है कि मुझे क्रिसमस की छुट्टियाँ मिलेंगी," पिप्पी बोली. "इसीलिए तो मैं आई हूँ. सबसे बढ़कर इन्साफ़ !"
"पहले तुम अपना पूरा नाम बताओ," टीचर ने कहा, "और फिर मैं तुमको स्कूल में दाखिल कर देती हूँ."
"मेरा नाम पिप्पीलोटा सामानीया चिक्किलीना पुदीनाहारी इफ़्राइमपुत्री लंबेमोज़े है, बेटी कप्तान इफ्राइम लंबेमोज़े की, जो समुंदर के बादशाह थे और अब हैं दक्षिणी समुद्र के राजा. पिप्पी मेरा उपनाम है क्योंकि बाबा को लगा कि पिप्पीलोटा नाम बहुत लंबा है."
"अच्छा," टीचर ने कहा. "चलो, हम भी तुम्हें पिप्पी ही बुलाते हैं. अब हम तुम्हारी ज्ञान की परिक्षा लेते हैं. तुम तो काफ़ी बड़ी हो, तुमें बहुत कुछ मालूम होगा. गणित से शुरू करते हैं. तो बताओ, 7 और 5 कितने हुए ?"
पिप्पी ने उनको आश्चर्य और गुस्से से देखा. फिर बोली, "तुम्हें नहीं पता तो मैं थोड़े ही जोड़नेवाली हूँ."
बच्चे घबराकर पिप्पी को देखने लगे. टीचर ने समझाया कि स्कूल में जवाब देने का यह तरीका नहीं है. और टीचर को 'तुम' करके नहीं बुलाते, उनको 'मिस' कहते हैं.
पिप्पी को खेद हुआ. वह बोली, "सॉरी. मुझे मालूम नहीं था. दुबारा ऐसा नहीं करूँगी."
"और करना भी नहीं चाहिए," टीचर ने कहा. "ठीक है, तो मैं बताती हूँ, 7 और 5 होते हैं 12 ."
"देखा," पिप्पी बोली. "तुम्हें मालूम था तो पूछा क्यों ?उफ़ ! मैं बिलकुल बुद्धू हूँ ! फिर से तुम्हें 'तुम' बोल दिया. माफ़ करो." ऐसा कहकर उसने अपने आप को चिहुँटा.
टीचर ऐसे पेश आई जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं. वह बोली, "अच्छा तो पिप्पी बताओ, तुम्हें क्या लगता है, 8 और 4 कितने होते हैं ?"
"लगभग 67 ," पिप्पी बोली.
"बिलकुल नहीं," टीचर ने कहा ."8 और 4 होते हैं 12 ."
"चल, चल मेरी अम्मा, तुम हद से बाहर जा रही हो,: पिप्पी बोली. "तुम्हीं ने कहा कि 7 और 5 होते हैं 12 . स्कूल में भी कुछ तरीका होना चाहिए. इस तरह के बचपने में तुम्हें दिलचस्पी है तो तुम क्यों न कोने में बैठी गिनती करती रहो और हम शांति से छोन-छुँई खेलते हैं. ओहो, फिर से 'तुम' कह दिया !" पिप्पी भयभीत हो बोली. "इस बार भी माफ़ कर सकती हो ? आगे से याद रखने की कोशिश करूँगी."
टीचर मान गई.

              लेखिका - ऐस्ट्रिड लिंडग्रन  
              बाल उपन्यास - पिप्पी लंबेमोज़े, मूल में पिप्पी लौंगस्टरुम्प 
              स्वीडिश भाषा से हिन्दी अनुवाद - संध्या राव और मेटा औट्टोस्सौन
              प्रकाशक - तूलिका पब्लिशर्स, चेन्नई , पहला संस्करण - 2004  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें