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सोमवार, 4 मार्च 2013

अलि क्या प्रिय आनेवाले हैं ? (Geet by Mahadevi Verma)

         मुस्काता संकेत-भरा नभ
              अलि क्या प्रिय आनेवाले हैं ?
विद्युत के चल स्वर्णपाश में बँध हँस देता रोता जलधर ;
अपने  मृदु  मानस की ज्वाला गीतों से  नहलाता सागर ;

         दिन निशि को, देती निशि दिन को
               कनक-रजत   के   मधु-प्याले  हैं !
                     अलि  क्या  प्रिय  आनेवाले हैं ?

मोती  बिखरातीं  नूपुर  के   छिप   तारक-परियाँ   नर्तन  कर ;
हिमकण पर आता जाता, मलयानिल परिमल से अंजलि भर ;

         भ्रान्त पथिक से फिर-फिर आते
               विस्मित  पल  क्षण  मतवाले हैं !
                      अलि  क्या  प्रिय  आनेवाले हैं ?

सघन वेदना के तम में, सुधि जाती सुख-सोने के कण भर ;
सुरधनु नव रचतीं निश्वासें, स्मित का इन भीगे अधरों पर ;

        आज  आँसुओं  के  कोषों  पर,
                स्वप्न  बने  पहरे  वाले हैं !
                       अलि  क्या  प्रिय आनेवाले हैं ?

नयन श्रवणमय श्रवण नयनमय आज हो रही कैसी उलझन !
रोम  रोम  में  होता  री  सखी  एक नया उर का-सा  स्पन्दन !
        
         
          पुलकों  से  भर  फूल  बन  गये
                 जितने   प्राणों   के   छाले  हैं !
                        अलि  क्या  प्रिय  आनेवाले हैं ?


कवयित्री - महादेवी वर्मा
संकलन - सन्धिनी
प्रकाशक - लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, 2005

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