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बुधवार, 1 मई 2013

शुद्ध-बुद्ध (Shuddh-buddh by Sarveshvar Dayal Saxena)


शुद्ध हवा औ' पानी शुद्ध
खा-पी बन गये गौतम बुद्ध l 
बोले - 'सभी प्रेम से रहो 
नहीं चाहिये हमको युद्ध !'
किन्तु मिलावट का घी खा 
हम सबने यह ही सीखा 
बात-बात पर होना क्रुद्ध 
बात-बात पर करना युद्ध l 
शुद्ध हवा दो पानी शुद्ध 
हम भी बन जाएं गौतम बुद्ध l 




कवि - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना 
संकलन - महके सारी गली गली (बाल-कविताएं)
संपादक - निरंकार देव सेवक, कृष्ण कुमार 
प्रकाशक - नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली, पहला संस्करण, 1996

1 टिप्पणी:

  1. कितनी प्यारी कविता
    बहुत जरूरत है शुद्ध हवा और पानी की पर देगा कौन. सब तो ले गए गौतम बुद्ध

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