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शुक्रवार, 3 मई 2013

तिल्लीसिं (Tillisin by Ramnaresh Tripathi)


पहने धोती कुरता झिल्ली,
       गमछे से लटकाये किल्ली ll 
कसकर अपनी घोड़ी लिल्ली,
      तिल्लीसिं जा पहुंचे दिल्ली ll 
पहले मिले शेखजी चिल्ली,
      उनकी बहुत उड़ाई खिल्ली ll 
चिल्ली ने पाली थी बिल्ली,
      तिल्लीसिं ने पाली पिल्ली ll 
पिल्ली थी दुमकटी चिबिल्ली,
       उसने धर दबोच दी बिल्ली ll 
मरी देखकर अपनी बिल्ली,
       गुस्से से झुंझलाया चिल्ली ll 
लेकर लाठी एक गठिल्ली,
       उसे मारने दौड़ा चिल्ली ll 
लाठी देख डर गया तिल्ली,
        तुरंत हो गई धोती ढिल्ली ll 
कसकर झटपट घोड़ी लिल्ली,
        तिल्लीसिं ने छोड़ी दिल्ली ll 
हल्ला हुआ गली दर गल्ली,
        तिल्लीसिं ने जीती दिल्ली ll 





कवि - रामनरेश त्रिपाठी 
संकलन - महके सारी गली गली (बाल-कविताएं)
संपादक - निरंकार देव सेवक, कृष्ण कुमार 
प्रकाशक - नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली, पहला संस्करण, 1996

2 टिप्‍पणियां:

  1. MAZEDAAR aur pyaari si kavita. share kari maine apne 7 samundra paar bachchon ke saath..

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  2. is kavita mein uttar bharat ke gaon ki khushbu aati hai..dhoti-kurte se le kar sheikh chilli..pilli..kitne saare mehakte hue shabd jo hummare shahr ke padhe hue bachon ne kabhi shayad padhe na ho...

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