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शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

चाँद भरोसे की चीज़ नहीं (Chand bharose ki cheez nahin by Rajesh Joshi)


इस चाँद के हँसिये  से सब्जी मत काटो 
बहुत तेज है इसकी धार 
जरा नज़र चूकी तो उँगली कट जाएगी 

उँगली कट जाएगी तो 
तुम्हारे  खून के कतरे 
आसमान पर टपकेंगे 

इस चाँद के चूड़े को जूड़े में मत खोंसो 
बहुत तेज है इसकी मार 
मन में उठेगा ऐसा ज्वार 
लहर बहाकर ले जाएगी कहीं 
और रेत पर तुम्हारे पाँव के निशान 
तुम्हें ढूँढेंगे 
 
चाँद भरोसे की चीज़ नहीं !
                       -24.12.04


कवि - राजेश जोशी 
संकलन - चाँद की वर्तनी 
प्रकाशन - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2006

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