Translate

रविवार, 18 अगस्त 2013

छाता (Chhata by Kedarnath Singh)

बीस बरस बाद 
छाता लगाये हुए 
पडरौना बाज़ार में मुझे दिख गये बंगाली बाबू 

बीस बरस बाद चिल्लाया 
बंगाली बाबू ! बंगाली बाबू !
कैसे हैं बंगाली बाबू !

वे मुड़े 
मुझे देखा
मुस्कुराये 
और 'ठीक हूँ' कहते हुए बढ़ गये आगे 

मैं समझ न सका 
बीस बरस बाद छाता लगाये हुए 
कितने सुखी 
या दुखी हैं बंगाली बाबू 

देखा बस इतना 
कि मेरी आँखों के आगे 
चला जा रहा है एक छाता 
सोचता हुआ 
मुस्कुराता हुआ 
ढाढ़स बँधाता हुआ 
बोलता-बतियाता हुआ छाता !


     कवि - केदारनाथ सिंह
     संकलन - यहाँ से देखो
     प्रकाशक - राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, पहला संस्करण - 1983

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें