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रविवार, 6 अक्तूबर 2013

लिट्टी इंटरनेशनल (Littee international by Nagarjun)


लालू ने 
लिट्टी को 
इंटरनेशनल बना दिया !
आप्रवासी भारतीय जुटे थे 
इंटरनेशनल हो गया था
समूचा पटना !
बड़ी गहमागहमी रही 
दो-तीन रोज़ तो 
लालू बोले :
हम चौबीस रोज 
अमेरिका रहे 
उहाँ हमें उधार का ही 
खाना लेना पडा, मजबूरी थी 
अपनी लिट्टी कहीं नहीं,
ब्रेड ही ब्रेड आगे आता था 
जाम-जेली-सौस … जी हाँ 
बहू नहीं सामने आई कहीं !

विदेशी भारतीय विदा हुए तो 
लालू ने एक-एक किलो सत्तू दिया 
और … हाँ, और 
लिट्टी बनाने का तरीका 
खुद-ब-खुद सिखलाया - 
"जी हाँ,  दिक्कत है 
गैस की आँच में नहीं -
कंडे की आँच में सिकने पर 
इसका अरिजिनल सवाद मिलेगा !
आप चाहेंगे तो आप उहाँ से 
अपना कुक (रसोइया) भेजिए,
इहाँ महीने-भर रहेगा 
सीख जाएगाSS
मगर हाँ,
एक ठो दिक्कत फिर भी रह जाएगी 
कच्चे आम की चटनी,
करोंदे का अचार 
कच्चे आँवले की चटनी …  
ई सब कइसे होगा ?
लेकिन हाँ, जाना-आना लगा रहेगा तो 
आपके तरफ का खाना-पीना 
हमारे इहाँ के लोग भी जान जाएंगे 
और हाँ, गुझिया, मालपुआ 
मिस्सी रोटी … ई सब सीखने में 
आपके कुक को कई महीने लग जाएंगे। … 
हडबडाइए नहीं 
रसे-रसे सब कुछ आपके कुक 
सीखिए लेगा नS !!"
            - 15 जनवरी, 1996



कवि - नागार्जुन 
किताब - नागार्जुन रचनावली, खंड 2
संपादन-संयोजन - शोभाकांत 
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2003


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