Translate

मंगलवार, 5 नवंबर 2013

दर्द काँटा है (Dard kanta hai by Nasir Kazmi)


                      
दर्द काँटा है उसकी चुभन फूल है 
दर्द की ख़ामुशी का सुख़न फूल है 
 
उड़ता फिरता है फुलवारियों से जुदा 
बर्गे-आवारा जैसे पवन धूल  है 
 
उसकी ख़ुशबू दिखाती है क्या-क्या समै 
दश्ते-ग़ुरबत में यादे-वतन फूल है 
 
तख़्त-ए-रेग पर कोई देखे उसे 
साँप के ज़हर में रस है, फन फूल  है 
 
मेरी लै से महकते हैं कोहो-दमन 
मेरे गीतों का दीवानापन फूल है 
 
 
दश्ते-ग़ुरबत = परदेस-रूपी जंगल 
तख़्त-ए-रेग = रेत का तख़्ता 
कोहो-दामन = पहाड़ और वादी  
शायर - नासिर काज़मी
संग्रह - ध्यान यात्रा 
संपादक - शरद दत्त, बलराज मेनरा 
प्रकाशक - सारांश प्रकाशन, दिल्ली, 1994

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें