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गुरुवार, 9 जनवरी 2014

धूप (Dhoop by Ashok Vajpeyi)

धूप  में इतनी खिलखिलाती हरियाली 
चिड़ियों की ऐसी चहचहाहट
क्या धूप ऐसे ही गाती है 
जब थोड़ा-सा अलसाकर 
वापस आती है !
(नान्त, 2 जून, 2012)


कवि - अशोक वाजपेयी   
संकलन - कहीं कोई दरवाज़ा   
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2013

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