Translate

शुक्रवार, 28 मार्च 2014

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था (Hatasha se ek vyakti baith gaya tha by Vinod Kumar Shukla)



हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था 
व्यक्ति को मैं नहीं जानता था 
हताशा को जानता था 
इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया 
मैंने हाथ बढ़ाया 
मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ 
मुझे वह नहीं जानता था 
मेरे हाथ बढ़ाने को जानता था 
हम दोनों साथ चले
दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे 
साथ चलने को जानते थे l




कवि -  विनोदकुमार शुक्ल
संकलन - अतिरिक्त नहीं
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2000

3 टिप्‍पणियां: