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मंगलवार, 11 मार्च 2014

मक्कार के नाम इनाम ( The naive rewarding of one who lies by Constanta Buzea)


वही पुरानी यात्राएँ और वही पुराने गंतव्य 
और मसूर के कटोरे पर वही पुराने कबूतर 
किसी मक्कार के नाम इनाम l 

भटक रहा हूँ मैं आराम और पवित्र वस्तुओं की तलाश में,
भरपूर और तिक्ततर आँसुओं के लिए,
विनम्रता और प्रार्थनाओं के लिए,
माताओं की समाधियों के विषाद के लिए l 

चूँकि लाद दिए गए हैं मुझ पर कुछ शब्द
औ जो लटके हुए हैं मेरी गर्दन से 
जबकि मेरा दिमाग चाह रहा है 
देना ईँट का जवाब पत्थर से 
और निकाल लेना एक दाँत के बदले पूरी की पूरी बत्तीसी l 



रोमानियाई कवयित्री - कोन्स्तान्ता बूज़ेआ  
(जन्म 29 मार्च, 1941, बुख़ारेस्त)  
संकलन - सच लेता है आकार, समकालीन रोमानियाई कविता  चयन/सम्पादन - आन्द्रीआ देलेतान्त, ब्रेण्डा वाकर   
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - रणजीत साहा   
प्रकाशक - साहित्य अकादेमी, दिल्ली, 2002

अनुवादक के मुताबिक कवयित्री का नाम कोन्स्तांत्सा बूज़ेआ है। 

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