Translate

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

अन्तर (Antar by Dhoomil)

कोई पहाड़ 
संगीन की नोक से बड़ा नहीं है। 
और कोई आँख 
छोटी नहीं है समुद्र से 
यह केवल हमारी प्रतीक्षाओं का अन्तर है -
जो कभी 
हमें लोहे या कभी लहरों से जोड़ता है l


कवि - धूमिल
संकलन - कल सुनना मुझे
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2003

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें